ना जाने क्या जादू था
दिल में बसा कर उसका चेहरा खो गया मैं कही
महफ़िल में दिखती है अब वो ही हर कही
ना जाने क्या जादू था उसकी बातों में
खुशबू सी घोल गयी हर कहीं
उसकी नज़र मिलती थी झुकती थी
कितनी कहानी कहती थी कभी कभी
बसी है मेरी जहाँ में उसकी ही तस्वीर हर कहीं
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